Poetry 

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आओ मिलकर एक शहर वसाते हैं 

नाम रखेंगे मुहबत कैंट 

साफ़ और सीधी बातें करेंगे 

बात में ना होगा कोई भी Dent 

इनसान बनकर रहेंगे सभी 

ना  कोई  Lady  ना कोई Gent 

मिलकर उगाएंगे फसल खुद ही 

ना कोई किश्तें हों न कोई Rent  

यह एक मात्र कविता नहीं थी 

सपने देखता था दस बीस लोग मिलकर 

Alberta में एक self sufficient ,self reliant  गाँव बनाएंगे 

Community Power Grid का design तक बनाया था 

Water management की research भी की थी 

कया आज के ज़माने में बीस लोग एक team बना पाते हैं 

वोह भी जहाँ मुनफे की बात पहले न की जाए