हमें और जीने की चाहत ना  होती 

हमें और जीने की चाहत न होती अगर तुम न होते, अगर तुम न होते (हमें जो तुम्हारा सहारा न मिलता भंवर में ही रहते किनारा न मिलता - २) किनारे पे भी तो लहर आ डुबोती अगर तुम न होते, अगर तुम न होते (तुम्हें देखके तो लगता है ऐसे बहारों का मौसम आया हो जैसे - २) दिखाई न देती अंधेरों में ज्योती अगर तुम न होते, अगर तुम न होते तुम्हें क्या बताऊं के तुम मेरे क्या हो मेरी ज़िंदगी का तुम ही आसरा हो मैं आशा कि लड़ियां, न रह रह पिरोती अगर तुम न होते, अगर तुम न होते हर इक ग़म तुम्हारा सहेंगे खुशी से करेंगे न शिकवा कभी भी किसी से जहाँ मुझ पे हंसता, खुशी मुझपे रोती अगर तुम न होते, अगर तुम न होते न जाने जो दिल से ये आवाज़ आई मिलन से है बढ़के तुम्हारी जुदाई ये आँखों के आँसू, न कहलाते मोती अगर तुम न होते, अगर तुम न होते