पल पल दिल के पास 

पल पल दिल के पास, तुम रहती हो जीवन मीठी प्यास, ये कहती हो पल पल ... हर शाम आँखों पर, तेरा आँचल लहराए हर रात यादों की, बारात ले आए मैं सांस लेता हूँ, तेरी खुशबू आती है एक महका महका सा, पैगाम लाती है मेरे दिल कि धड़कन भी, तेरे गीत गाती है पल पल ... कल तुझको देखा था, मैने अपने आंगन में जैसे कह रही थी तुम, मुझे बाँध लो बन्धन में ये कैसा रिश्ता है, ये कैसे सपने हैं बेगाने हो कर भी, क्यूँ लगते अपने हैं मैं सोच मैं रहता हूँ, डर डर के कहता हूँ पल पल ... तुम सोचोगी क्यूँ इतना, मैं तुमसे प्यार करूं तुम समझोगी दीवाना, मैं भी इक़रार करूं दीवानों की ये बातें, दीवाने जानते हैं जलने में क्या मज़ा है, परवाने जानते हैं तुम यूँ ही जलाते रहना, आ आ कर ख़्वाबों में पल पल ...