कुछ ना कहो 1942 Love Story
कुछ ना कहो, कुछ भी ना कहो
क्या कहना है, क्या सुनना है
मुझको पता है, तुमको पता है
समय का ये पल, थम सा गया है
और इस पल में कोई नहीं है
बस एक मैं हूँ बस एक तुम हो
कितने गहरे हल्के, शाम के रंग हैं छलके
पर्वत से यूँ उतरे बादल जैसे आँचल ढलके
सुलगी सुलगी साँसें बहकी बहकी धड़कन
महके महके शाम के साये, पिघले पिघले तन मन
खोए सब पहचाने खोए सारे अपने
समय की छलनी से गिर गिरके, खोए सारे सपने
हमने जब देखे थे, सुन्दर कोमल सपने
फूल सितारे पर्वत बादल सब लगते थे अपने
रिम झिम रिम झिम रुम झुम रुम झुम
भीगी भीगी रुत में तुम हम हम तुम
चलते हैं चलते हैं
बजता है जलतरंग पर के छत पे जब
मोतियों जैसा जल बरसे
बूँदों की ये झड़ी लाई है वो घड़ी
जिसके लिये हम तरसे,
हो हो हो रिम झिम रिम झिम
बादल की चादरें ओढ़े हैं वादियां
सारी दिशायें सोई हैं
सपनों के गाओं में भीगी सी छाँव में
दो आत्माएं खोई हैं
आई हैं देखने झीलों के आइने
बालों को खोले घटाएं
राहें धुआँ धुआँ
जाएंगे हम कहाँ आओ यहीं रह जाएं